दस महाविद्या : माता पार्वती के दस रूप
कैलाश पर्वत के ध्यानी की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है।
इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि। इनके दो पुत्र हैं गणेश और कार्तिकेय। यहां प्रस्तुत है माता के दस रूपों का वर्णन।
1. काली, 2. तारा, 3. षोडशी, (त्रिपुरसुंदरी), 4. भुवनेश्वरी, 5. छिन्नमस्ता, 6. त्रिपुरभैरवी, 7. धूमावती, 8. बगलामुखी, 9. मातंगी और 10. कमला।
कहते हैं कि जब सती ने दक्ष के यज्ञ में जाना चाहा तब शिवजी ने वहां जाने से मना किया। इस निषेध पर माता ने क्रोधवश पहले काली शक्ति प्रकट की फिर दसों दिशाओं में दस शक्तियां प्रकट कर अपना प्रभाव दिखलाया, जिस कारण शिव को उन्हें जाने की आज्ञा देने पर मजबूर होना पड़ा। यही दस महाविद्या अर्थात् दस शक्ति है। इनकी उत्पत्ति में मतभेद भी हैं।
अत: माता पर्वती का ध्यान करना और उन्हीं की भक्ति पर कायम रहने वाले के लिए जीवन में कभी शोक और दुख नहीं सहना पड़ता। माता सिर्फ एक ही है, अनेक नहीं यह बात जो जानता है वहीं शिव की शक्ति के ओज मंडल में शामिल हो जाता है।
माता पार्वती के अन्य नाम
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माता पार्वती , उमा , महेश्वरी , दुर्गा , कालिका , शिवा , महिसासुरमर्दिनी , सती , कात्यायनी , अम्बिका , भवानी , अम्बा , गौरी , कल्याणी , विंध्यवासिनी , चामुन्डी , वाराही , भैरवी , काली , ज्वालामुखी , बगलामुखी , धूम्रेश्वरी , वैष्णोदेवी , जगधात्री , जगदम्बिके , श्री , जगन्मयी , परमेश्वरी , त्रिपुरसुन्दरी , जगात्सारा , जगादान्द्कारिणी , जगाद्विघंदासिनी , भावंता , साध्वी , दुख्दारिद्र्य्नाशिनी , चतुर्वर्ग्प्रदा , विधात्री , पुर्णेँदुवदना , निलावाणी, पार्वती ,
सर्वमँगला , सर्वसम्पत्प्रदा , शिवपूज्या , शिवप्रिता , सर्वविध्यामयी , कोमलाँगी , विधात्री , नीलमेघवर्णा , विप्रचित्ता , मदोन्मत्ता , मातँगी , देवी खडगहस्ता , भयँकरी ,पद्`मा , कालरात्रि , शिवरुपिणी , स्वधा , स्वाहा , शारदेन्दुसुमनप्रभा , शरद्`ज्योत्सना , मुक्त्केशी , नँदा , गायत्री , सावित्री , लक्ष्मीअलँकार सँयुक्ता , व्याघ्रचर्मावृत्ता , मध्या , महापरा , पवित्रा , परमा , महामाया , महोदया इत्यादी देवी भगवती के कई नाम हैँ:
समस्त भारत मेँ देवी के शक्ति पीठ हैँ
01) कामरूप पीठ
02) काशिका पीठ
03) नैपल्पिथ
04) रौद्र -पर्वत
05) कश्मीर पीठ
06) कान्यकुब्ज पीठ
07) पूर्णागिरी पीठ
08) अर्बुदाचल पीठ
09) अमृत केश्वर पीठ
10) कैलास पीठ
11) शिव पीठ
12 ) केदार पीठ
13 ) भृगु पीठ
14 ) कामकोटी पीठ
15 ) चंद्रपुर पीठ
16 ) ज्वालामुखी
17 ) उज्जयिनी पीठ इत्यादी
और हर प्राँत मेँ देवी के विविध स्वरुप की पूजा होती है और कई शहर देवी के स्वरुप की आराधना के केन्द्र हैँ।
शाक्त पूजा की अधिष्ठात्री दुर्गा देवी पूरे बँगाल की आराध्या
काली कलकत्ते वाली ” काली ” भी हैँ और गुजरात की अँबा माँ भी हैँ
पँजाब की जालन्धरी देवी भी वही हैँ
तो विन्ध्य गुफा की विन्ध्यवासिनी भी वही
माता रानी हैँ जो जम्मू मेँ वैष्णोदेवी कहलातीँ हैँ
और त्रिकुट पर्बत पर माँ का डेरा है ॥
आसाम मेँ ताँत्रिक पूजन मेँ कामाख्या मँदिर बेजोड है ॥
तो दक्षिण मेँ वे कामाक्षी के मँदिर मेँ विराजमान हैँ
और चामुण्डी परबत पर भी वही हैँ शैलपुत्री के रुप मेँ
वे पर्बताधिराज हिमालय की पुत्री पारबती कहलातीँ हैँ
तो भारत के शिखर से पग नखतक आकर,
कन्याकुमारी की कन्या के रुप मेँ भी वही पूजी जातीँ हैँ ॥
महाराष्ट्र की गणपति की मैया गौरी भी वही हैँ
और गुजरात के गरबे और रास के नृत्य ९ दिवस और रात्रि को
माताम्बिके का आह्वान करते हैँ ..
शिवाजी की वीर भवानी रण मेँ युध्ध विजय दीलवानेवाली वही हैँ —
गुजरात में, माँ खोडीयार स्वरूप से माता पूजी जातीं हैं
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते !!
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या देवी सर्वभूतेषु , मातृ रूपेण संस्थिता !
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः !!
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दुर्गा – पूजा
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Rajesh Tamrakar
Jyotish & Vastu Advisor
408/2C SBI colony
Single Story
Janki Nagar
Jabalpur.
M)9826446569